Jharkhand Mein Vidroh Ka Itihas (Hindi Edition)
झारखंड संघर्ष की धरती रही है। यहाँ के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की पहली लड़ाई लड़ी थी। ‘ झारखंड में विद्रोह का इतिहास ’ नामक इस पुस्तक में 1767 से 1914 तक हुए संघर्ष का जिक्र है। धालभूम विद्रोह के संघर्ष से कहानी आरंभ होती है। उसके बाद चुआड़ विद्रोह , तिलका माझी का संषर्घ , कोल विद्रोह , भूमिज विद्रोह , संथाल विद्रोह , बिरसा मुंडा का उलगुलान आदि सभी संघर्ष - विद्रोहों के बारे में इस पुस्तक में विस्तार से चर्चा की गई है। संथाल विद्रोह के तुरंत बाद ही , यानी 1857 में झारखंड क्षेत्र में भी सिपाही विद्रोह हुआ। झारखंड के वीरों ने इस विद्रोह में बढ़ - चढ़कर हिस्सा लिया। राजा अर्जुन सिंह , नीलांबर - पीतांबर , ठाकुर विश्वनाथ शाही , पांडेय गणपत राय , उमरांव सिंह टिकैत , शेख भिखारी आदि उस विद्रोह के नायक थे। इस पुस्तक में उनके संघर्ष के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। पुस्तक में चानकु महतो , तेलंगा खडि़या , सरदारी लड़ाई , टाना भगतो के आंदोल...