Jharkhand Panchayati Raj




झारखंड पंचायती राज हैंडबुक पंचायत की पद्धति अपने देश के लिए कोई नई नहीं है। आदिवासी हों या मूलवासी, सभी में हजारों वर्षों से पंचायत की अपनी एक ठोस परंपरा रही है। सुख-दुःख से लेकर लड़ाई-झगड़ों के निपटारे, शादी-विवाह और जन्म-मृत्यु में पंचायत और सगे-संबंधी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। पंचायत समुदाय द्वारा तय मर्यादा का वहन और संचालन करती है, रीति-रिवाज एवं परंपराओं का सम्मान करती है। आज भी यह कई समुदायों में जिंदा है। निश्‍च‌ित तौर पर जहाँ पंचायत जिंदा है, वह समाज आज भी स्वशासी और स्वावलंबी है। जिन समुदायों में यह पद्धति समाप्‍तप्राय है, वे परावलंबी बन परमुखापेक्षी बन गए हैं। विकास की मृगतृष्णा उन्हें अपनी जमीन से उजाड़ देती है; कहीं-कहीं तो भिखारी तक बना देती है। ‘अबुआ आतो रे, अबुआ राज’ महज कल्पना नहीं बल्कि एक सच्चाई है। इसे समझकर ही आगे सकारात्मक प्रयोग हो सकते हैं। इस अर्थ में यह हैंडबुक महज नियमों का पुलिंदा नहीं है, बल्कि इसमें नियमों के साथ आदिवासी समाज के उन परंपरागत नियमों को शामिल किया गया है, जिनके बल पर आदिवासी व मूलवासी समाज हिल-मिलकर आगे बढ़ रहे हैं। इस हैंडबुक की सार्थकता लोगों की सक्रियता पर निर्भर है। वे जितने सक्रिय होंगे, इसका जितना उपयोग कर सकेंगे, उतना ही इस पुस्तक से लाभ उठा सकेंगे।

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